समास
दो शब्दों
का
परस्पर
मेल
समास कहलाता
है,
à सम+आस= समास
जब
दो
शब्द
एक
दूसरे
के
पास
बिठा
दिए
जाते
हैं
और
नए
शब्द
का
बोध
होता
है|
समास के 6 भेद होते हैं---
1.अव्ययी भाव
समास
2.तत्पुरुष
समास
3.द्विगु
समास
4.द्वंद्व समास
5.कर्मधारय
समास
6.बहुव्रीहि
समास
पद की प्रधानता के आधार पर समास के चार भेद होते हैं---
पहला
पहला
पद
प्रधान
= अव्ययीभाव
समास
दूसरा
पद
प्रधान
= द्विगु ,कर्मधारय
,तत्पुरुष
समास
दोनों
पद
प्रधान =
द्वंद्व समास
अन्य
पद
प्रधान
= बहुव्रीहि
समास
1.अव्ययीभाव समास :-
विशेषता
---प्रथम
पद
अव्यय
प्रथम
पद
प्रधान
उपसर्ग
युक्त
पद
पुनरावृति
शब्द
अव्यय
:- जिसमें लिंग,
वचन
,काल
नहीं
बदले
जाते
|
यथा
क्रम |
= क्रम
के अनुसार
|
|
यथानुसार |
= जैसा
है
उसी
के
अनुसार
|
|
यथायोग्य |
= योग्यता
के
अनुसार
|
|
यथाशक्ति |
= शक्ति के अनुसार |
|
प्रत्येक |
= हर-एक |
|
यथामति |
= मति के अनुसार |
|
प्रत्याशा |
= हर
किसी
से
आशा |
|
प्रतिवर्ष |
= हर-वर्ष
|
|
प्रतिमाह |
=
हर-माह |
|
प्रतिदिन |
= हर-दिन
|
|
प्रतिपल |
= हर
/ प्रत्येक
पल
|
|
प्रतिक्षण |
= हर
क्षण
|
|
यथेच्छा |
= इच्छा
के
अनुसार
|
|
आमरण |
= मरने
तक
|
|
आकंठ |
= कंठ
तक
|
|
आजीवन |
= जीवन रहने
तक
|
|
आपादमस्तक |
= पैर से
लेकर
सिर
तक |
|
आजानुबाहु |
घुटनों
से
लेकर
भुजाओं
तक
|
|
भरपेट |
= पेट
भर
कर
|
|
भरसक |
= सक
(सामर्थ्य)
भर
|
|
दिन
भर |
= पूरा
दिन
|
|
बार-बार |
= हर
बार
|
|
घर-घर |
= हर घर
|
|
रातोंरात |
= रात
ही
रात
में
|
|
भागमभाग |
= भागते
ही
रहना
|
|
चलाचली |
= चलने
के
बाद
चलना
|
|
मारामारी |
= मारने
की
बाद मारना |
Also read - भारत के सभी राज्यों का प्रमुख नेशनल पार्क और अभ्यारण्य
2.द्विगु समास :-
इस समास
का
प्रथम
पद
संख्या
वाची
होता
है
और
संपूर्ण
पद
मिलकर
किसी
समूह
का
बोध
करता
है|
विशेषण
और
विशेष्य
के
अर्थ
का
बोध
होता
है|
|
एकांकी |
= एक
अंक
(दृश्य) का
नाटक
|
|
द्विवेदी |
= दो
वेदों
का
ज्ञाता
|
|
दुनाली |
= दो
नालों
का
समूह |
|
तिराहा |
= तीन
राहों
का
समूह
|
|
त्रिवेणी |
= तीन
वेणियों (नदियों)
का
समूह/
संगम |
|
त्रिकोण |
= तीन
कोणों
का
समूह
|
|
त्रिफला |
= तीन फलों
का
समूह |
|
त्रिवेदी |
= तीन
वेदों
का
ज्ञाता
|
|
चौराहा |
= चार राहों
का
समूह |
|
चतुर्वेदी |
= चार
वेदों
का
ज्ञाता
|
|
चवन्नी |
= चार आनों का
समूह |
|
चौखट |
= चार
खौटो का
समूह
|
|
चतुर्भुज |
= चार
भुजाओं
का
समूह
|
|
पंचवटी |
= पांच वट वृक्षों का
समूह |
|
पंजाब |
= पांच आबो का
समूह
|
|
पचरंगा |
= पांच
रंगों
का
समूह
|
|
पंचानन |
= पांच आननों का
समूह
|
|
षडानन |
= छ: आननों का
समूह
|
|
षड्रितु |
= छ:
ऋतु
का
समूह
|
|
षठमास |
=
छ: महीनों
का
समूह
|
|
अठन्नी |
= आठ
आनों
का
समूह
|
|
सप्ताह |
= सात दिनों
का
समूह |
|
अठवाड़ा |
= आठवें वार
को
लगने
वाला
बाजार
|
|
नवरात्र |
=
नव विशेष रात्रियों का
समूह
|
|
नवग्रह |
= नवग्रहों
का
समूह
|
|
सतसई |
= सात सौ दोहों
का
समूह
|
|
शताब्दी |
= सौ वर्षों
का
समूह
|
|
दशानन |
= दास आननों का
समूह
|
1 से
लेकर
10 और
10 से
भाज्य
संख्याओं
में
द्विगु समास
होता
है|
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3.कर्मधारय समास :-
विशेषण
(उपमान) और विशेष्य
(उपमेय)
इस
समास में विशेषण
और
विशेष्य
अर्थात
उपमान
और
उपमेय के अर्थ
का
बोध
होता
है|
विशेषण
/उपमान
:- संज्ञा
अथवा
विशेष्य
की
विशेषता
बताने
वाले
शब्द
विशेषण
कहलाते
हैं
और
विशेषण
को
ही
उपमान
कहते
हैं
|
विशेष्य
/ उपमेय :- विशेषण
अथवा
उपमान
के
द्वारा
जिसकी
विशेषता
बताई
जाती
है
उसे
विशेष्य
/ उपमेय कहते
हैं
|
![]()
मनोज सुंदर
है
|
विशेष्य
विशेषण
|
विशेषण |
भाववाचक |
जातिवाचक |
|
चोर |
चोरी |
चोरियां |
|
गरीब |
गरीबी |
गरीबों |
नील
कमल
------
![]()
नील गगन
------ नीला है
जो
गगन
विशेषण विशेष्य
![]()
लाल मिर्च
------- लाल
है
जो
मिर्च
विशेषण
विशेष्य
नीलगाय
संज्ञा
व्यक्तिवाचक
|
हरा
धनिया
हरा
है
जो
धनिया
चंद्रमुखी
चंद्रमा
के
समान
सुंदर
मुख
वाली
मृगनयन मृग के
नयनो
के
जैसे
नयनो
वाला
महाराजा
महान
है
जो
राजा
महापुरुष
महान
है
जो
पुरुष
तुषार
धवल
बर्फ
के
समान
सफेद
है
जो महर्षि महान
है
जो
ऋषि
देवर्षि जो
देव
है
जो
ऋषि
है
राजर्षि
जो
राजा
है
जो
ऋषि
है दुष्कर्म
/कुकर्म
बुरा
है
जो
कर्म
कुमार्ग
बुरा
है
जो
मार्ग
सुशासन
अच्छा
है
जो
शासन
सुगम
जहां
जाना
अच्छा
है
उड़न
खटोला
उड़ता
है
जो
खटोला
उड़न
तश्तरी
उड़ती
है
जो
तश्तरी
रक्त
लोचन
रक्त
के
जैसे
लाल
है
नेत्र
जिसके अर्थात
कबूतर नीलोत्पल
नीला
है
जो
कमल वीरबाला
वीर
है
जो
बाला
कापुरुष
कायर
है
जो
पुरुष
मंदबुद्धि
मंद
है
जिसकी
बुद्धि
सुपाच्य
अच्छा
है
पचने
में
जो
सुष्ठु अच्छा
उदयाचल
उदय
होता
है
अचल
(पर्वत)से
शिष्टाचार
शिष्ट है
जिसका
आचरण |
जब
किसी
विशेषण
की
पुनरावृति
हो
जाए
तो
वहां
कर्मधारय
समास
होता
है---
जैसे
-----
|
काला-काला |
= अत्यंत
काला |
|
लाल-लाल
|
= अत्यंत
लाल |
|
हरा-हरा |
= अत्यंत
हरा |
|
पीला- जर्द |
= जो
पीला
है
जो
जर्द
है
|
|
लाल-सुर्ख |
= अत्यंत
लाल
|
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4.तत्पुरुष समास :-
दूसरा
पद
प्रधान
A.नञ तत्पुरुष
समास
B.लुप्त
पद
C.लुप्त कारक
चिन्ह
Dअलुक
E.उपपद
A.नञ तत्पुरुष समास:-
इस समास में अ, अन् ,
अन, ना उपसर्ग
का
प्रयोग
किया
जाता
है
तथा
नहीं
कि
अर्थ
का
बोध
होता
है|
|
असत्य
= सत्य
नहीं
अज्ञान
= ज्ञान
नहीं
अभाव
= भाव
नहीं
अकारण
= कारण
नहीं
अव्यय = व्यय नहीं अनाहूत = बुलाया
नहीं
अनावरण
= आवरण
नहीं
नालायक
= लायक
नहीं
नाजायज
= जायज
नहीं
नापाक
= पाक
नहीं नापसंद
= पसंद
नहीं
अनावश्यक
= आवश्यक
नहीं
अनखिला
= खिला
नहीं
अनपढ़
= पढ़ा
नहीं
अनचाहा
= चाहा
नहीं
अनदेखा
= देखा
नहीं
अनहोनी
= होनी
नहीं
अन्याय
= न्याय
नहीं
|
B.लुप्त पद तत्पुरुष समास :-
इस
समास
में
प्रथम
और
अंतिम
पद
लिखा रहता
है
और
बीच
का
पद
लुप्त हो जाता
है|
|
रेलगाड़ी
रेल
(पटरी)
पर
चलने
वाली
गाड़ी
ऊंटगाड़ी
ऊंट
से
चलने
वाली
गाड़ी
दही
बड़ा
दही
में
डूबा
हुआ
बड़ा
पकौड़ी
पकी हुई
बड़ी
गुड़धानी
गुड
में
मिली
हुई
धानी
रसगुल्ला
रस
में
डूबा
हुआ
गुल्ला
वनमानुष
वन में
रहने
वाला
मानुष
वायुयान
वायु
में
उड़ने
वाला
यान मधुमक्खी
मधु
एकत्र
करने
वाली
मक्खी
|
C.लुप्त कारक चिन्ह तत्पुरुष समास :-
इस समास
में
कर्म
कारक
से
लेकर
अधिकरण
कारक
तक की
विभक्ति
चिन्ह
लुप्त
हो
जाते
हैं|
|
कारक |
चिन्ह |
|
कर्म
कारक |
को |
|
करण |
से
/ के
द्वारा
(जुड़ने
के
अर्थ
में) |
|
संप्रदान |
के
लिए |
|
अपादान |
से
(अलग
होने
के
अर्थ
में) |
|
संबंध
|
का,
की,
के |
|
अधिकरण |
में
,पर |
कर्म कारक तत्पुरुष समास :- “को”
|
शरणागत
शरण
को
आया
हुआ
मरणातुर मरने
को
आतुर
दिलतोड़
दिल
को
तोड़ने
वाला
गृहागत गृह को
आया
हुआ
गिरहकट जेब को
काटने
वाला
जेबकतरा जेब को कतरने वाला
संकटापन्न संकट को आपन्न कनपटा कान को
कटवाया
हुआ
विकासोन्मुख विकास
को उन्मुख
|
करण कारक:-
से / के
द्वारा
|
पद्युक्त पद
से
युक्त
रोगयुक्त
रोग
से
युक्त
रोगपीड़ित
रोग
से
पीड़ित
अकाल
पीड़ित
अकाल
से
पीड़ित
भयभीत
भय से भीत तुलसीकृत
तुलसी
के
द्वारा
रचित
मदांध
मद
से
अंधा
धर्मांध
धर्म
से
अंधा
रेखांकित रेखा
के
द्वारा
अंकित
ऋणयुक्त ऋण से युक्त
|
{ कृत - रचित , कृति - रचना , कृती - रचनाकार }
संप्रदान तत्पुरुष समास:- “के
लिए”
|
रसोईघर
रसोई
के
लिए
घर
चिड़ियाघर
चिड़िया
के
लिए
घर
पाठशाला
पाठ के लिए शाला
पाकशाला
पाक के लिए शाला
व्यामशाला
व्यायाम के
लिए
शाला
विद्यालय
विद्या
के
लिए
आलय वाचनालय
वाचन
के
लिए
आलय पुस्तकालय
पुस्तकों
के
लिए
आलय कारावास
कारा के
लिए
आवास
छात्रावास
छात्रों
के
लिए
आवास
पाकसामग्री
पकाने
के
लिए
सामग्री
हवनसामग्री
हवन
के
लिए
सामग्री
घुड़साल
घोड़ों
के
लिए
शाला हथकड़ी
हाथों
के
लिए
कड़ी
विधान
परिषद
विधान
के
लिए
परिषद
रेलभाड़ा
रेल
के
लिए
भाड़ा
रणभूमि
युद्ध
के
लिए
भूमि
न्यायालय
न्याय
के
लिए
आलय
नाट्यशाला
नाटक
के
लिए
शाला
भूतबलि
भूत
के
लिए
बलि
समाचार
पत्र
समाचार
के
लिए
पत्र
काक बलि
काक के
लिए
बलि
जेब
खर्च
जेब
के
लिए
खर्च
शपथ
पत्र
शपथ
के
लिए
पत्र
कर्णफूल
कर्ण के
लिए
फूल
यज्ञशाला
यज्ञ
के
लिए
शाला
|
जिन
शब्दों
के
अंत
में
शाला
,घर
,आवास
,आलय
और
सामग्री
लिखा
होता
है,
संप्रदान
तत्पुरुष
कहलाएगा
|
अपादान तत्पुरुष समास
:- “से”
(अलग
होने
के भाव में)
|
जन्मांध
जन्म
से
अंधा
ऋण
मुक्त
ऋण
से
मुक्त
अकाल
मुक्त
अकाल
से
मुक्त
भयमुक्त
भय
से
मुक्त
लोकोत्तर
लोक
से
उत्तर
(परे) लक्ष्य
भ्रष्ट
लक्ष्य
से
भ्रष्ट
बंधन
मुक्त
बंधन
से
मुक्त
पदच्युत
पद
से
च्युत भाग्यहीन
भाग्य
से
हीन आशातीत
आशा से अतीत
जन्मोत्तर
जन्म
से
उत्तर
(परे)
कामचोर
काम
से
जी
चुराने
वाला
आदिवासी
आदि
(प्रारंभ)
से
वास
करने
वाले
कर्म
भिन्न कर्म से
भिन्न
हतश्री
लक्ष्मी
से
रहित
|
संबंध तत्पुरुष समास:- का /के /की
|
नरबलि
नर
की
बलि
चर्म
रोग
चर्म
का
रोग
सेहरा-बंधाई सेहरा
की
बंधाई
मतदाता
मत का दाता
जगत
माता
जगत
की
माता
जगन्नाथ
जगत
का
नाथ
पशु
बलि
पशु
की
बलि
रंगभेद
रंग
का
भेद
ऋषि
कन्या
ऋषि
की
कन्या
कन्यादान
कन्यादान
वाग्दान वाणी का
दान
रामचरित
राम
का
चरित्र
तुलसीमाला
तुलसी
की
माला
|
अधिकरण तत्पुरुष समास :- में /पर
|
तीर्थाटन
तीर्थों
में
अटन जीव
दया
जीवो
पर
दया
पराश्रित
दूसरों
पर
आश्रित
कविराज
कवियों
में
राजा
कविपुंगव कवियों
में
श्रेष्ठ
नराधम
नरों
में
अधम काव्यनिपुण काव्य में
निपुण
वनवास
वनों
में
वास
वाकपटु
वाणी में पटु |
D.अलुक तत्पुरुष समास :- इस समास में
दोनों
पदों
के
बीच
संस्कृत
का
विभक्ति
चिन्ह
उपस्थित
रहता
है|
वसुंधरा = वसुंधरा को
मृत्युंजय =
मृत्यु को जीतने वाला
भयंकर = भय को पैदा करने वाला
मनसिज = मन में जन्म लेने वाला
सरसिज = सर (तालाब) में जन्म लेने वाला
E.उपपद तत्पुरुष समास :- इस समास
का
दूसरा
कोई
न
कोई
प्रत्यय
होता
है|
|
चर्मकार
चर्म
का
काम
करने
वाला
स्वर्णकार
स्वर्ण का
काम
करने
वाला
कुंभकार
कुंभ
का
काम
करने
वाला
सर्वज्ञ
सभी
को
जानने
वाला
राजनीतिज्ञ राजनीति
को
जाने
वाला
|
5.द्वन्द समास :-
दोनों
पद
प्रधान
होता है --
भेद :-
|
इतरेतर द्वन्द |
= और
का
बोध |
|
समाहार
द्वन्द |
= आदि
का
बोध
|
|
वैकल्पिक
द्वन्द |
= या
/अथवा
|
इतरेतर = और
|
राधेश्याम
राधा
और
श्याम
कृष्ण
अर्जुन
कृष्ण
और
अर्जुन
हरिहर हरि
और
हर
सीताराम
सीता
और
राम
माता
पिता
माता
और
पिता
अडसठ
आठ और साठ पचपन
पांच और पचास पच्चीस पांच
और बीस |
1 से
लेकर
10 और
10 से
भाज्य
संख्याओं
को
छोड़कर
और
“उन” उपसर्ग
वालों
को
छोड़कर
,बाकी
सभी में इतरेतर
द्वन्द होगा
|
|
दो-चार दो से चार दस-बीस
दस से बीस सौ-पचास
पचास से लेकर सौ हज़ार-पांच सौ पांच सौ से लेकर हज़ार तक |
समाहार ----आदि
|
कुर्ता-टोपी
कुर्ता
टोपी
आदि
धोती-कमीज
धोती
कमीज
आदि
चाय
-वाय चाय आदि
अड़ोस-पड़ोस
पड़ोस
आदि रोटी
-वोटी
रोटी
आदि पानी-वानी
पानी आदि
फल-फूल-मेवा-मिष्ठान
फल
,फल,फूल,मेवा,मिष्ठान
इत्यादि
|
वैकल्पिक द्वन्द :-या /अथवा
|
सुख-दुख
सुख
या
दुख
जय-पराजय
जय
या पराजय
लाभ-हानि
लाभ
या
हानि
होनी-अनहोनी
होनी
या अनहोनी
यश-अपयश यश या अपयश |
6.बहुव्रीहि समास:-
अन्य
प्रधान
होता है |
जब
दो
पद
मिलकर
किसी
अन्य
पद
का
बोध
करवाएं
----
|
नकटा |
कटी
हुई
नाक
जिसकी
-- बेशर्म |
|
उटपटांग |
उट
पर टांग ----- बेतुका |
इस
समास का अपना
कोई
उदाहरण
नहीं
होता
यह
दूसरे
के
उदाहरण
को रूढ़ कर अपना बना
लेता है|
जिस
शब्द
में
बहुव्रीहि
समास होगा
उस
शब्द
में
दूसरा
समास भी होगा
| यदि
प्रश्न के विकल्प
में
दोनों
समास दे
रखे
हो
और
रूढ़
शब्द
भी
बन
रहा
हो,
तो
बहुव्रीहि
समास
होगा|
ह्रषिकेश
= ह्रषिक + ईश
इंद्रियां ईश्वर
V
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
गुडाकेश = गुड़ाका
+ ईश
नींद ईश्वर
अर्जुन
|
शाखा
मृग |
= शाखाओं
का
मृग
है जो
----बंदर |
|
तिरंगा |
= तीन
रंगों
का
समूह
अर्थात
भारत
का
प्रतीक
चिन्ह
|
|
पंचवटी |
= पांच
वटी
(वृक्षों
) का
समूह
|
|
त्रिफला |
= तीन फलों
का
मिश्रण
-----चूर्ण |
A. पिताम्बर शब्द
में
समास
है------
बहुव्रीहि
समास
बहू
+
व्रीहि
बहुत
अनाज
किसान
B.वह
राम
नाम
का
पिताम्बर तन
पर
डाले
खड़ा
था
कर्मधारय
समास
Thanks a lot












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