हिंदी
सामान्य ज्ञान------
Ø
हिंदी का गोल्ड
स्मिथ किसे कहा जाता है?---श्री सियारामशरण
गुप्त
Ø
हिन्दी का टेनिसन
किसे कहा जाता है?----बाबू जगन्नाथ दास
Ø
बिहार का महावीर
प्रसाद द्विवेदी किसे कहा जाता है?---आचार्य शिवपूजन सहाय
Ø
हिन्दी का लघु
प्रसाद किसे कहा जाता है?----जगदीश चन्द्र
माथुर
Ø
आधुनिक रसखान
किसे कहा जाता है?----श्री अब्दुल रसीद
Ø
आधुनिक रहीम किसे
कहा जाता है?----मिर्जा नासिर हसन
Ø
शब्द सम्राट कोश
किसे कहा जाता है?---बाबू श्याम सुंदर
दास
Ø
साहित्य का
महारथी किसे कहा जाता है?---आचार्य रामचंद्र
शुक्ल जी
Ø
हिन्दी का गालिब
किसे कहा जाता है?----बिहारी
Ø
हिन्दी का मिल्टन
किसे कहा जाता है?----केशवदास
Ø
युग का वैतालिक
किसे कहा जाता है?----भारतेंदु जी
Ø
पूरे ऋषि किस
अष्टछापी कवि को कहा जाता है?---कुम्भनदास
Ø
ऊंची योग्यता का
कवि किसे कहा जाता है?----गद्दाधर भट्ट
Ø
हिन्दी का लैम्ब
किसे कहा जाता है?---प्रताप नारायण
मिश्र
Ø
हिन्दी का मम्मट
किसे कहा जाता है?---पण्डित रामदिन
मिस्र
Ø
अवतारी पुरुष किस
कवि को कहा जाता है?---महावीर प्रसाद
द्विवेदी
Ø
हिन्दी का इलिएट
किसे कहा जाता है?----अज्ञेय जी
Ø
छोटे निराला किस
कवि को कहा जाता है?----जानकी बल्लभ
शास्त्री
Ø
हिन्दी का
मल्लिनाथ किसे कहा जाता है?---राजा लक्ष्मण
सिंह
Ø
आधुनिक काल का
पद्याकर किसे कहा जाता है?---बाबू जगन्नाथ दास
।
हिंदी
के प्रमुख महाकाव्य----
Ø
चंदबरदाईकृत
पृथ्वीराज रासो को हिंदी का प्रथम महाकाव्य कहा जाता है।
Ø
मलिक मुहम्मद
जायसी – पद्मावत
Ø
तुलसीदास –
रामचरितमानस
Ø
आचार्य केशवदास –
रामचंद्रिका
Ø
मैथिलीशरण गुप्त –
साकेत
Ø
अयोध्यासिंह
उपाध्याय ‘हरिऔध’ –प्रियप्रवास
Ø
द्वारका प्रसाद
मिश्र – कृष्णायन
Ø
जयशंकर प्रसाद –
कामायनी
Ø
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – उर्वशी
Ø
रामकुमार वर्मा –
एकलव्य
Ø
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ – उर्मिला
Ø
गुरुभक्त सिंह – नूरजहां ,
विक्रमादित्य
Ø
अनूप शर्मा –
सिद्धार्थ , वर्द्धमान
Ø
रामानंद तिवारी –
पार्वती
Ø गिरिजा दत्त शुक्ल ‘गिरीश’ – तारक वध
Ø जंगल में फैलनेवाली आग - दावाग्नि
Ø समुद्र में लगने वाली आग - बड़वानल
Ø जो सपना दिन में देखा जाए - दिवास्वप्न
Ø जिसे कठिनाई से जाना जा सके - दुर्ज्ञेय
Ø जो कठिनाई से समझ में आता हो - दुर्बोध
Ø अर्द्धरात्रि का समय - निशीथ
Ø रंगमंच पर पर्दे के पीछे का स्थान - नेपथ्य
Ø आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लेने वाला - नैष्ठिक
Ø नाटक का पर्दा गिरना - पटाक्षेप
Ø रंगमंच का पर्दा - यवनिका
Ø जो उत्तर न दे सके - निरुत्तर
Ø केवल दूध पर जीवित रहने वाला - पयोहारी
Ø शरणागत की रक्षा करने वाला - प्रणतपाल
Ø एक बार कही हुई बात को दोहराते रहना -
पिष्टपेषण
Ø जो पूछने योग्य हो - पृष्टव्य
Ø प्रमाण द्वारा सिद्ध करने योग्य - प्रमेय
Ø रात का भोजन - ब्यालू/ रात्रिभोज
Ø जिसकी आंखें मगर जैसी हो - मकराक्ष
Ø जिस स्त्री की आंखें मछली के समान हो -
मीनाक्षी
Ø जिस पुरुष की आंखें मछली के समान हो - मीनाक्ष
Ø हरिण के नेत्रों-सी आंखों वाली - मृगनयनी
Ø मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा - मुमुक्षा
Ø मरने की इच्छा - मुमूर्षा
Ø युद्ध करने की इच्छा - युयुत्सा
Ø सृजन करने की इच्छा - सिसृक्षा
Ø खुले हाथ से दान देने वाला - मुक्तहस्त
Ø माता की हत्या करने वाला - मातृहन्ता
Ø जिसने मृत्यु को जीत लिया हो - मृत्युंजय
Ø वह कन्या जिसका विवाह करने का वचन दे दिया गया
हो - वाग्दत्ता
Ø व्याकरण का ज्ञाता - वैयाकरण
Ø शत्रु का नाश करने वाला - शत्रुघ्न
Ø जिसका कोई आदि और अंत न हो - शाश्वत
Ø जो सब कुछ जानता हो - सर्वज्ञ
Ø सब कुछ पाने वाला - सर्वलब्ध
Ø जो गुप्त रूप से निवास करता हो - छद्मवासी
Ø दिन और रात के बीच का समय - गोधूलि वेला
Ø जिसका अर्थ स्वयं ही सिद्ध है - सिद्धार्थ
Ø वह व्यक्ति जिसका ज्ञान अपने ही स्थान तक सीमित
है - कूपमंडूक
Ø भोजन करने के बाद का बचा हुआ अन्न/जूठन -
उच्छिष्ट
Ø जिसे सूँघा न जा सके - आघ्रेय
Ø वह कवि जो तत्काल कविता कर सके - आशुकवि
Ø जिसका कोई शत्रु न जन्मा हो - अजातशत्रु
Ø जो इंद्रियों (गो) द्वारा न जाना जा सके -
अगोचर
Ø किसी बात को अत्यधिक बढाकर कहना - अतिशयोक्ति
Ø जिसे बुलाया न गया हो - अनाहूत
Ø जो सबके मन की बात जनता हो - अंतर्यामी
Ø जो मापा न जा सके - अपरिमेय
Ø किसी वस्तु को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा -
अभीप्सा
Ø आवश्यकता से अधिक धन का ग्रहण न करना -
अपरिग्रह
Ø
‘अतीत के चलचित्र’
के रचयिता कौन हैं? – महादेवी वर्मा
Ø
‘अशोक के फूल’
(निबंध सग्रह) के रचनाकार कौन हैं? – हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
Ø
‘अष्टछाप’ के सर्वश्रेष्ठ भक्त कवि कौन हैं? – सूरदास
Ø
‘आँसू’ (काव्य) के रचयिता कौन हैं? – जयशंकर प्रसाद
Ø
‘एक नार पिया को
भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।’ यह पंक्ति किस
भाषा की है? – ब्रजभाषा
Ø
‘कामायनी’ किस प्रकार का ग्रंथ है? – महाकाव्य
Ø
‘गागर में सागर’
भरने का कार्य किस कवि ने किया है? – बिहारीलाल
Ø
‘गाथा’ (गाहा) कहने से किस लोक प्रचलित काव्यभाषा का
बोध होता है? – प्राकृत
Ø
‘घनिष्ठ’ की शुद्ध उत्तरावस्था क्या है? – घनिष्ठतर
Ø
‘चारु’ शब्द की शुद्ध भावात्मक संज्ञा क्या है?
– चारुता
Ø
‘चिंतामणि’
के रचयिता कौन हैं? – रामचन्द्र शुक्ल
Ø
‘जो अपनी जान
खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से
ज़्यादा है, जो केवल रुपया
लगाते हैं।’ यह कथन ‘गोदान’ के किस पात्र द्वारा कहा गया है? – महतो
Ø
‘जो जिण सासण
भाषियउ सो मई कहियउ सारु। जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥’ इस दोहे के रचनाकार का नाम क्या है? – देवसेन
Ø
‘झरना’ (काव्य संग्रह) के रचयिता कौन हैं? – जयशंकर प्रसाद
Ø
‘दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात, अपरिचित
जरा-मरण-भ्रू पात।।’ इस पंक्ति के
रचनाकार कौन हैं? – सुमित्रानंदन पंत
Ø
‘देखन जौ पाऊँ तौ
पठाऊँ जमलोक हाथ, दूजौ न लगाऊँ,
वार करौ एक करको।’ ये पंक्तियाँ किस कवि द्वारा सृजित हैं? – नाभादास
Ø
‘दोहाकोश’ के रचयिता कौन हैं? – सरहपा
Ø
‘नमक का दरोगा’
कहानी के लेखक कौन हैं? – प्रेमचंद
Ø
‘नागनंदा’ नामक संस्कृतनटक की रचना किस शासक ने की?
– हर्षवर्धन ने
Ø
‘नाट्यशास्त्र’
की रचना किसने की? – भरत मुनि
Ø
‘निराला के राम
तुलसीदास के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।’ यह कथन किस हिन्दी आलोचक का है? – डॉ. रामविलास शर्मा
Ø
‘निरुत्तर’
शब्द का शुद्ध सन्धि विच्छेद क्या है? –
निः+उत्तर
Ø
‘निशा -निमंत्रण’
के रचनाकार कौन हैं? – हरिवंश राय बच्चन
Ø
‘पंचवटी’ कौन-सा समास है? – द्विगु
Ø
‘पद्मावत’ किसकी रचना है? – मलिक मुहम्मद जायसी
Ø
‘परहित सरिस धर्म
नहि भाई, परपीड़ा सम नहिं अधमाई’। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – तुलसीदास
Ø
‘पल्लव’ के रचयिता कौन हैं? – सुमित्रानंदन पंत
Ø
‘पवित्रता की माप
है मलिनता, सुख का आलोचक है दुःख,
पुण्य की कसौटी है पाप।’ यह कथन ‘स्कन्दगुप्त’
नाटक के किस पात्र का है? – देवसेना
Ø
‘प्रगतिवाद
उपयोगितावाद का दूसरा नाम है।’ यह कथन किसका है?
– नन्द दुलारे बाजपेयी
Ø
‘प्रभातफेरी’
काव्य के रचनाकार कौन हैं? – नरेन्द्र शर्मा
Ø
‘प्रिय दर्शिका’
नामक संस्कृत ग्रंथ की रचना किस शासक ने की?
– हर्षवर्धन ने
Ø
‘प्रेमसागर’
के रचनाकार कौन हैं? – लल्लू लालजी
Ø
‘बाँगरू’ बोली का किस बोली से निकट सम्बन्ध है? –
खड़ीबोली
Ø
‘बैताल पच्चीसी’
के रचनाकार कौन हैं? – सूरति मिश्र
Ø
‘भक्तमाल” भक्तिकाल के कवियों की प्राथमिक जानकारी देता
है, इसके रचयिता कौन थे?
– नाभादास
Ø
‘भरहूत स्तूप’
का निर्माण किसने कराया? – पुष्यमित्र शुंग ने
Ø
‘भारत भारती’
(काव्य) के रचनाकार कौन हैं? – मैथिलीशरण गुप्त
Ø
‘मनुष्य के आचरण
के प्रवर्तक भाव या मनोविकार ही होते हैं, बुद्धि नहीं।’ यह कथन किसका है?
– रामचन्द्र शुक्ल का
Ø
‘रस मीमांसा’
रस-सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक कौन हैं? – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
Ø
‘रानी केतकी की
कहानी’ की भाषा को क्या कहा जाता
है? – खड़ीबोली
Ø
‘रामचरितमानस’
में कितने काण्ड हैं? – 7
Ø
‘रामचरितमानस’
में प्रधान रस के रूप में किस रस को मान्यता
मिली है? – भक्ति रस
Ø
‘लहरें व्योम
चूमती उठती। चपलाएँ असंख्य नचती।’ पंक्ति जयशंकर
प्रसाद के किस रचना का अंश है? – कामायनी
Ø
‘शिवा बावनी’
के रचनाकार कौन हैं? – भूषण
Ø
‘संस्कृति के चार
अध्याय’ किसकी रचना है? – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
Ø
‘साँच बराबर तप
नहीं, झूठ बराबर पाप’। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – कबीर
Ø
‘सुन्दर परम किसोर
बयक्रम चंचल नयन बिसाल। कर मुरली सिर मोरपंख पीतांबर उर बनमाल॥ ये पंक्तियाँ किस
रचनाकार की हैं? – सूरदास
Ø
‘सुहाग के नूपुर’
के रचयिता कौन हैं? – अमृतलाल नागर
Ø
‘हरिश्चन्द्री
हिन्दी’ शब्द का प्रयोग किस
इतिहासकार ने अपने इतिहास ग्रंथ में किया है? – रामचन्द्र शुक्ल
Ø
‘हितोपदेश’
की रचना किसने की? – नारायण पंडित
Ø
‘हिन्दी साहित्य
का अतीत: भाग- एक’ के लेखक का क्या
नाम है? – डॉ. विश्वनाथ प्रसाद
मिश्र
Ø
‘कनक-कनक ते सौ
गुनी मादकता अधिकाय’ में कौन-सा
अलंकार है? – यमक
Ø
‘पृथ्वीराज रासो’
के रचनाकार कौन हैं? – चन्दबरदाई
Ø
हिन्दी
साहित्य लेखन की परम्परा-------
Ø
मध्यकाल में रचित
वार्ता साहित्य -
Ø
84 वैष्णव की
वार्ता (गोकुल नाथ)
Ø
दो सौ बावन
वैष्णव की वार्ता (गोकुल नाथ) भक्तमाल - नाभादास
•
हिन्दी साहित्य
के इतिहास लेखन का वास्तविक सूत्रपात 19वीं शताब्दी से माना जाता है।
Ø
गार्सा द तासी:-
•
ग्रन्थ - इस्तवार
द ला लितरेत्यूर एदूस्तानी
•
इस ग्रंथ का
प्रकाशन दो भागों में हुआ
Ø
1839 इ. 2.
1847 ई.
•
इसे हिन्दी
साहित्य का प्रथम इतिहास ग्रंथ माना जाता है। भाषा - फ्रेंच
Ø
शिवसिंह सेंगर:-
•
रचना - शिवसिंह
सरोज (500 कवियों का परिचय) (1883 में लिखा)
Ø
सर जार्ज
गिर्यसन:-
•
रचना - द माडर्न
वनैक्यूलर लिटरेचर आॅफ हिन्दुस्तान (1888)
•
इसका प्रकाशन
एशियाटिक सोसाइटी आॅफ बगांल की पत्रिका के
Ø
विशेषांक के रूप
में हुआ।
•
किशोरी लाल गुप्त
ने इसे सही अर्थों में हिन्दी साहित्य का प्रथम
Ø
इतिहास माना है।
•
इस ग्रथ मे पहली
बार रचनाकारो को कालक्रम से वर्गीकृत किया
Ø
गया।
•
इन्होंने केवल
हिन्दी के कवियों को अपने कालक्रम में स्थान दिया।
•
हिन्दी साहित्य
के इतिहास को ग्रियसन ने अपने ग्रंथ में भक्तिकाल
Ø
को प्रथमबार
स्वर्णयुग काल की संज्ञा दी।
Ø
मिश्र बंधु:-
•
मिश्र बंधु विनोद
(पुस्तक)
•
इस ग्रथ की रचना 4 भागो मे हुई प्रथम 3 भाग - 1913 इ. में
Ø
प्रकाशित हुये
तथा चौथा भाग - 1934 ईस्वी मे
प्रकाशित हुआ।
•
इन्होंने पहली
बार काल विभाजन का समुचित प्रयास किया।
Ø
आचार्य रामचन्द्र
शुक्ल:- (100 कवियों का
परिचय)
•
‘‘हिन्दी साहित्य
का इतिहास’’ नामक ग्रंथ 1929 ई. मे हिन्दी शब्द
Ø
सागर की भूमिका
के रूप में लिखा।
•
इन्होने युगीन
परिस्थितियो के सदंर्भ मे साहित्यिक प्रवृतियों के
Ø
विकास की बात
कही।
Ø
डा. रामकुमार
वर्मा:-
•
‘‘हिन्दी साहित्य
का आलोचनात्मक इतिहास (1938)
•
इनका प्रमुख आधार
आचार्य शुक्ल का इतिहास रहा
•
इन्होंने
भक्तिकाल तक ही विवेचन किया
•
इन्होंने स्वयभूं
को हिन्दी साहित्य का प्रथम कवि माना
Ø
आचार्य हजारी
प्रसाद द्विवेदी:-
Ø
हिन्दी साहित्य
की भूमिका (194र्0 इ. )
Ø
हिन्दी साहित्य
उद्भव व विकास (195र्3 इ. )
Ø
हिन्दी साहित्य
का आदिकाल (195र्2 इ. )
Ø
डा. गणपति
चन्द्रगुप्त:-
•
हिन्दी साहित्य
का वैज्ञानिक इतिहास - (1965)
Ø
काल विभाजन
Ø
गार्सा द तासी
एवं शिवसिंह सेंगर ने काल विभाजन का कोई प्रयास नहीं किया।
Ø
ग्रियर्सन ने
अपनी पुस्तक ‘‘द माॅर्डन
वर्नेक्यूलर लिटरेचर आॅफ हिन्दुस्तान’’ में रचनाकारों का काल क्रमानुसार वर्गीकरण करते हुए 11 काल खण्डों में विभाजित किया
Ø
प्रथम काल - चारण
काल (700-1400 इ. )
Ø
मिश्र बंधु
Ø
आरम्भिक काल - 700-1400 ई.
Ø
माध्यमिक काल - 1445-1680 वि.स.
Ø
अलंकृत काल - 1680-1889 वि.स.
Ø
परिवर्तन काल - 1890-1925 वि.स.
Ø
वर्तमान - 1926 से वर्तमान तक
Ø
काल खण्डों के
विभाजन में नामकरण एक जैसी पद्धति पर नही
•
हिन्दी साहित्य
के इतिहास का प्रारम्भ 700 वि.स. से मानकर
अपभ्रंष साहित्य को स्थान दिया।
•
आचार्य रामचन्द्र
शुक्ल -
•
वीरगाथा काल - संवत्
1050-1375 वि.स.
•
भक्तिकाल/पूर्व
मध्यकाल - 1375-1700 वि.स.
•
रीतिकाल/उतरमध्यकाल
- 1700-1900 वि.स.
•
आधुनिक
काल/गद्यकाल - 1900-1984 वि.स.
•
शुक्ल जी ने
प्रधान प्रवृति एंव प्रसिद्ध ग्रन्थों की प्रसिद्धी को आधार
Ø
मानकर काल विभाजन
किया।
•
इन्होंने हिन्दी
साहित्य का इतिहास ‘‘विक्षेपवादी’’
प्रवृति पर लिखा
•
इनके काल विभाजन
में सर्वाधिक विवाद वीरगाथा काल पर हुआ
Ø
डा. रामकुमार
वर्मा -
•
संधिकाल - 750 वि.-1000 वि.
•
चारणकाल - 1000 वि.-1375 वि.
•
भक्तिकाल - 1375 वि.-1700 वि.
•











